“शादी का सबूत दो वरना रजिस्ट्रेशन नहीं!” यूपी में नया विवाह नियम

महेंद्र सिंह
महेंद्र सिंह

अगर आप उत्तर प्रदेश में शादी करने की सोच रहे हैं, तो सिर्फ ‘सात फेरे’ और ‘जयमाला’ काफी नहीं होंगे। अब आपको शादी का पुख्ता वीडियो सबूत, गवाहों की मौजूदगी और शपथ पत्र के साथ जाना होगा रजिस्ट्रार ऑफिस।

ये बदलाव माननीय उच्च न्यायालय के हालिया रिट के बाद लागू हुए हैं, जिसका उद्देश्य फर्जी विवाहों, धोखाधड़ी और जबरन शादी जैसे मामलों को रोकना बताया जा रहा है। लेकिन आम लोगों के लिए यह प्रक्रिया अब कुछ ज्यादा ही कठिन हो गई है।

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अब क्या-क्या जरूरी होगा शादी रजिस्टर कराने के लिए?

1. माता-पिता की अनिवार्य उपस्थिति

रजिस्ट्रेशन के वक्त दोनों पक्षों के अभिभावकों को मौजूद रहना अनिवार्य किया गया है। अगर कोई भी अनुपस्थित है, तो पंजीकरण रोका जा सकता है।

2. पुरोहित को भी देना होगा ‘गवाह’

जिस पुरोहित ने विवाह संपन्न कराया है, उसे स्वयं उपस्थित होकर यह गवाही देनी होगी कि विवाह वैध और विधि सम्मत हुआ है।

3. शादी का वीडियो फुटेज (पेन ड्राइव में)

अब शादी की वीडियो रिकॉर्डिंग पेन ड्राइव में जमा करनी होगी, ताकि विवाह की सत्यता जांची जा सके।

4. उपहारों की सूची और शपथ पत्र

शादी में दिए गए तोहफों की एक डिटेल लिस्ट शपथ पत्र सहित जमा करनी होगी, जिससे दहेज निषेध कानून के उल्लंघन की जांच हो सके।

नया सिस्टम या जनता की मुश्किल?

कानून के जानकारों का मानना है कि यह नियम जहां सुरक्षा की दृष्टि से सही है, वहीं इसका दुरुपयोग भी संभव है।

“कई युवा कपल्स जो प्रेम विवाह करते हैं, उनके लिए मां-बाप की मौजूदगी या पुरोहित की गवाही जुटा पाना आसान नहीं होता,” — एक अधिवक्ता ने बताया।

कोर्ट की मंशा क्या है?

माननीय उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि यह व्यवस्था विवाहों को पारदर्शी बनाने के लिए है। खासकर नकली शादी, धोखा और दहेज मामलों से जुड़ी जटिलताओं को रोकने के लिए यह प्रक्रिया बनाई गई है।

आम जनता की राय

नैना शर्मा, एक छात्रा कहती हैं:

“अगर दो बालिग अपनी मर्ज़ी से शादी करना चाहें, तो इतने सारे दस्तावेज और गवाहों की ज़रूरत क्यों?”

राहुल मिश्रा, सरकारी कर्मचारी:

“असली शादी वाले तो गवाह और वीडियो दे देंगे, लेकिन यह नियम उन लोगों के लिए आफत बन जाएगा जो परिवार की मंजूरी के बिना शादी कर रहे हैं।”

क्या ये नियम समाधान है या नई परेशानी?

जहां एक ओर राज्य सरकार और अदालत विवाह की पारदर्शिता को बढ़ावा दे रही है, वहीं यह सवाल भी उठ रहे हैं कि क्या यह कदम व्यक्तिगत स्वतंत्रता और निजता पर असर डाल रहा है?

कहता है सिस्टम?

“सुरक्षा जरूरी है, लेकिन प्रक्रिया को इतना जटिल न बनाएं कि लोग शादी करने से डरने लगें।”“अब शादी करना सिर्फ दिल की बात नहीं, दस्तावेज़ और सबूतों का खेल भी बन गया है। कानून के नाम पर कहीं प्यार पर ताले तो नहीं लगाए जा रहे?”

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